बक्सर पत्रिका :- प्रगतिशील लेखक संघ बक्सर के तत्वावधान में डुमरांव स्थित बिस्मिल्लाह खां संगीत एकेडमी के सभागार में एक विचार गोष्ठी सह कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रलेस बक्सर की उपाध्यक्ष एवं कवयित्री सह शिक्षिका मीरा सिंह 'मीरा' ने की तथा मंच संचालन प्रलेस के जिलाध्यक्ष डॉ बी एल प्रवीण ने किया। गोष्ठी का विषय था "साहित्य के प्रति समाज का घटता रुझान"। विषय की प्रवर्तन करते हुए डॉ प्रवीण ने कहा कि आज समाज में बहुधा देखा जा रहा है कि साहित्य को छोड़ कर कहीं भी भीड़ तंत्र की कमी नहीं है। राजनीति, धर्म और खेलकूद के आयोजनों के मुकाबले साहित्यिक आयोजनों में लोगों की उपस्थिति निराशाजनक दिखती है। यदि साहित्य समाज का दर्पण है तो यह और भी चिन्तनीय है। बड़ी-बड़ी पत्रिकाएं पहले ही काल कवलित हो चुकी हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आगे ये घाटे का सौदा हो चुकी हैं। यही वजह है की इसे बाजार तक पहुंचाने वाली एक एच व्हीलर की दुकानों में भी पत्रिकाओं के बदले रोजमर्रा की चीजें बिकने लगी हैं। आखिर साहित्यकार कब तक चुप्पी साधे रहेंगे। सामाजिक विकृतियां हों, भ्रष्टाचार हो या आपसी वैमनस्य अथवा वैश्विक युद्ध का आह्वान, आधार भूत तौर पर साहित्य में छीजन का होना कहीं कहीं कारण अवश्य है।
इस विषय पर जिले के शिक्षाविद् डॉ मनीष कुमार शशि ने बताया कि हमें समाज की पसंद पर चलना हमारी मजबूरी हो जाती है। अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आगे आफ लाइन साहित्य कमजोर पड़ता जा रहा है। हमें वैश्विक स्तर पहचान बनाने के लिए इस मीडिया का सहारा लेना ही पड़ेगा।
साहित्यकार विश्वनाथ मिश्र ने कहा कि आज शिक्षा में भी पठन पाठन स्तरीय नहीं रहा। लोग 'इ' माध्यमों से किसी तरह डिग्रियां और पद तो हासिल कर लेते हैं किन्तु सही योग्यता नहीं हासिल कर पाते। उन्होंने बताया कि ऑफ लाइन पढ़ाई में केवल पढ़ाई होती थी , खाना पूर्ति नहीं। इसी प्रकार साहित्य में घटती हुई रुचि को सुधारने के लिए समय-समय पर मंचीय आयोजन अवश्य होने चाहिए। अध्यक्षता कर रही प्रसिद्ध बाल कवयित्री ने पहले एक बाल कविता सुनाई जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हमें साहित्य में अब नई पीढ़ी को सामने लाना होगा। आपसे में संवादहीनता भी एक प्रमुख कारण है साहित्य में रुझान की कमी होने का। कम लोग ही आएं इससे निराश होने की आवश्यकता नहीं। हम साहित्यकारों का यह दायित्व है कि चुप बैठे न रहें। समाज जागरूक रखने में हमारी महती भूमिका होनी चाहिए। नव रचनाकार रोहित कुमार ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे।
गोष्ठी में भाग लेने वालों में शिक्षा से जुड़े आशीष पांडेय, रोहित कुमार, रिटायर्ड शिक्षक प्रभुनाम यादव, हरेन्द्र मिश्र, कुमारी सुमन, अब्दुल बारी, डॉ मनीष कुमार शशि आदि कई लोग उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन विश्वनाथ मिश्र ने किया।
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