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ग्रामीण चिकित्सक मंच ने अपनी माँगों को लेकर बुलंद की आवाज


बक्सर पत्रिका / डुमराँव :- ग्रामीण चिकित्सकों के बिना बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था अधूरी है। ग्रामीण चिकित्सक को रेजिस्ट्रड मेडिकल प्रैक्टिशनर्स घोषित कराने में ग्रामीण चिकित्सको से अपील जब देश की अस्सी प्रतिशत जनता को चौबीस घंटे स्वास्थ्य सेवा देने का जिम्मेवारी ग्रामीण चिकित्सक ही निभा रहे है और सहज एवं सस्ती चिकित्सा सेवा उपलब्ध करा रहे है तो फिर चिकित्सक के रूप में स्वीकार्य क्यों नहीं ? विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बार बार सेंट्रल गवर्नमेंट को निर्देश दिया की ग्रामीण चिकित्स्कों को सीएमएस पाठ्यक्रम से जोड़कर रेजिस्ट्रड प्रैक्टिशनर्स घोषित करे। पूर्व के सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ डिपार्टमेंट ने भी अनुभवधार ग्रामीण चिकित्स्कों को इनलिस्टमेन्ट करने का भी कई बार आदेश दिया। स्टेट गवेर्मेंट अंडर सेक्रेटरी को किन्तु आईएमए के दबाव में उस आदेश को राज्य सरकार अनदेखी कर दी। अभी पिछले साल आप लोगो ने देखा आईएमए ने एनएमसी बिल का भी जबरदस्त विरोध किया। आजादी के 73 साल बाद भी ग्रामीण चिकित्सक उपेक्षित है। यदि ग्रामीण चिकित्सक के हित में उठाए गए मुद्दे उचित लगते हैं तो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी बने जब तक सरकार प्रशिक्षित ग्रामीण चिकित्सकों के लिए अलग से राज रजिस्टर नहीं खुलती है तथा प्रैक्टिस करने का अधिकार साथ ही सरकारी नियुक्ति नहीं करती हैतब तक। उक्त बातें बिहार ग्रामीण चिकित्सक संघ के संयोजक डा मिथिलेश कुमार चौबे, राष्ट्रीय कार्यपालक निदेशक अरुण कुमार उपाध्याय, कटिहार राष्ट्रीय महासचिव सत्य कुमार मंगलम ,राष्ट्रीय प्रवक्ता चंद्रभूषण, राष्ट्रीय संगठन मंत्री ओमप्रकाश द्वारा कही गयी। साथ ही प्रदेश कमिटी द्वारा जिस में उपस्थित  प्रदेश अध्यक्ष डॉ मुन्ना सिंह, प्रदेश वरिष्ठ अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र तिवारी, प्रदेश महासचिव डॉ जितेंद्र सिंह, प्रदेश कोषाध्यक्ष डॉ रवि शंकर प्रसाद, प्रदेश संगठन मंत्री डॉ भृगूनाथ यादव, प्रदेश प्रवक्ता डॉ विजय श्रीवास्तव, प्रदेश प्रवक्ता गुप्तेश्वर गुप्ता, प्रदेश प्रवक्ता पवन कुमार गुप्ता साथ ही संपूर्ण प्रदेश कमेटी द्वारा निर्णय लिया गया।